* 32 वर्षों की सेवा का सम्मान: श्री तुलाराम दिनकर बने प्राचार्य, शिक्षा जगत को मिली एक नई प्रेरणा *
रायगढ़। शिक्षा, समर्पण और सतत् सेवा का नाम यदि किसी एक शिक्षक के साथ जुड़ता है, तो वह हैं श्री तुलाराम दिनकर, जो खरसिया विकासखंड के पूर्व माध्यमिक शाला बगडेवा में वर्षों से अध्यापन कार्य में संलग्न रहे हैं। 32 वर्षों के सेवाकाल के बाद उन्हें प्राचार्य पद पर पदोन्नत किया गया है, जो न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि पूरे शिक्षा विभाग के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
1993 से शुरू हुआ सेवा-संकल्प, अब मिला नेतृत्व का दायित्व
श्री दिनकर का शैक्षिक सफर 16 जुलाई 1993 को उच्च श्रेणी शिक्षक के रूप में प्रारंभ हुआ। सीमित संसाधनों और ग्रामीण परिवेश की चुनौतियों के बीच उन्होंने बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सतत् कार्य किया।
7 अक्टूबर 2008 को उन्हें प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नति मिली, और उसके पश्चात 17 वर्षों तक विद्यालय के प्रशासनिक व शैक्षणिक विकास में उन्होंने निर्णायक भूमिका निभाई। आज, 2025 में वह प्राचार्य बनाए गए हैं, जो उनके संघर्ष, सादगी और समर्पण का सजीव प्रमाण है।
पाड़रमुड़ा गांव से शिक्षा जगत की ऊँचाइयों तक
सक्ती जिले के ग्राम पाड़रमुड़ा निवासी श्री दिनकर का जीवन सादगी और सेवा से ओतप्रोत रहा है। उन्होंने हमेशा विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। वे शिक्षकों के बीच मार्गदर्शक और विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं।
शिक्षा विभाग के लिए एक मिसाल
श्री दिनकर की पदोन्नति एक संदेश देती है—”देर हो सकती है, पर सम्मान जरूर मिलता है।”
उनकी यह उपलब्धि उन हजारों शिक्षकों के लिए आशा और प्रेरणा है, जो प्रतिबद्धता और ईमानदारी के साथ शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं।
अब नेतृत्व की नई भूमिका में
प्राचार्य बनने के बाद शिक्षा जगत को श्री दिनकर से और भी रचनात्मक, नवाचारपूर्ण और दूरदर्शी नेतृत्व की उम्मीद है। उनके अनुभव और दृष्टिकोण से स्कूलों के शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पक्ष को नई ऊँचाई मिलने की संभावना है।
—
📌 शिक्षा ही समाज का सबसे मजबूत स्तंभ है, और श्री तुलाराम दिनकर जैसे शिक्षक इस स्तंभ को वर्षों से मजबूत करते आ रहे हैं।
पूरे शिक्षा विभाग, छात्रों और सहकर्मियों की ओर से उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं और अभिनंदन।
—