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    Home»छत्तीसगढ़»पंचमी भेंट यात्रा को लेकर ट्रस्ट और गोंड समाज के बीच बढ़ा विवाद, तनाव अब आंदोलन की चेतावनी तक पहुंचा
    छत्तीसगढ़

    पंचमी भेंट यात्रा को लेकर ट्रस्ट और गोंड समाज के बीच बढ़ा विवाद, तनाव अब आंदोलन की चेतावनी तक पहुंचा

    satya@anjorBy satya@anjorOctober 13, 2025No Comments4 Mins Read
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    डोंगरगढ़। माँ बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट और गोंड आदिवासी समाज के बीच चल रहा विवाद अब गहराता जा रहा है। नवरात्र की पंचमी से शुरू हुआ यह मामला अब प्रशासन और समाज के बीच लगातार बैठकें और ज्ञापन तक पहुंच चुका है। शुरुआत उस समय हुई जब पंचमी के मौके पर गोंड समाज ने पारंपरिक रूप से माँ बम्लेश्वरी मंदिर की पंचमी भेंट यात्रा आयोजित की। इस यात्रा में समाज के आंगा देव, कई बैगा और राजपरिवार से राजकुमार भवानी बहादुर सिंह भी शामिल हुए थे।

    सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो से बढ़ा विवाद

    परंपरा के अनुसार, समाज ने मंदिर परिसर और आसपास के सभी देवस्थानों में पूजा अर्चना की और अंत में माँ बम्लेश्वरी मंदिर के गर्भगृह के पास पहुंचा, जहां पारंपरिक पूजा-पाठ किया गया। लेकिन दूसरे ही दिन कुछ अख़बारों में यह प्रकाशित हुआ कि गोंड समाज के लोगों ने जबरन गर्भगृह में प्रवेश किया और दान पेटी लांघी। इस खबर के बाद सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ, जिसमें आंगा देव को दान पेटी लांघते हुए देखा गया। इसी वीडियो को लेकर विवाद ने तूल पकड़ा।

    जानबूझकर फैलाया जा रहा है भ्रम – गोंड समाज

    गोंड आदिवासी समाज का कहना है कि यह कोई जबरन प्रवेश नहीं था, बल्कि देवी-देवताओं के मिलन की पवित्र परंपरा थी। उनका कहना है कि आंगा देव कोई सामान्य व्यक्ति नहीं होते, बल्कि वे स्वयं देवता का रूप हैं। आंगा देव को बनाने में जिस लकड़ी का उपयोग होता है, वह बस्तर के माड़ क्षेत्र से विशेष अनुष्ठान कर लाई जाती है, और उसी में देवत्व का वास होता है। इसलिए यह आस्था का हिस्सा था, न कि मंदिर नियमों का उल्लंघन। गोंड समाज का आरोप है कि इस पूरे प्रकरण को लेकर कुछ लोग जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं और समाज की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

    वहीं ट्रस्ट प्रबंधन इस घटना को मंदिर की गरिमा से जुड़ा मामला बताते हुए इसे अनुशासनहीनता मान रहा है। इसी बीच नवरात्रि के दौरान एक और घटना ने विवाद को और गहरा कर दिया। मंदिर के ज्योति कक्ष में कार्यरत कर्मचारी शीतल की इलाज में देरी के चलते मौत हो गई। इस घटना पर भी गोंड समाज ने नाराजगी जताई और ट्रस्ट प्रबंधन से मृतक के परिवार को उचित मुआवजा देने की मांग की है। समाज का कहना है कि ट्रस्ट को अपने कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर अधिक जिम्मेदार रवैया अपनाना चाहिए।

    गोंड आदिवासी महासभा के अध्यक्ष रमेश उइके ने कहा कि अगर शासन और प्रशासन ने समाज की मांगें पूरी नहीं कीं तो गोंड समाज बड़ा आंदोलन करेगा। उन्होंने कहा, “हमारी प्रमुख मांग है कि मंदिर ट्रस्ट के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यदि समय रहते प्रशासन ने संवेदनशीलता के साथ समाधान नहीं निकाला तो हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया में गोंड समाज को हिंदू विरोधी बताना पूरी तरह गलत है। “हमारे समाज ने कभी किसी धर्म का अपमान नहीं किया है। आज भी गोंड समाज के लोग हिंदू मंदिरों में पूजा करते हैं और हर गांव में हिंदू देवी-देवताओं की स्थापना की जाती है। लेकिन ट्रस्ट और कुछ संगठनों के माध्यम से गोंड समाज और सर्व हिंदू समाज के बीच दूरी पैदा करने की कोशिश की जा रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

    विवाद आपसी बातचीत से शांतिपूर्ण ढंग से सुलझे – एसडीएम

    इस पूरे विवाद पर डोंगरगढ़ एसडीएम एम. भार्गव ने बताया कि आदिवासी समाज ने उन्हें ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने कुछ प्रमुख मांगें रखी हैं। एसडीएम ने कहा कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और इसका समाधान संवाद के माध्यम से तलाशा जाएगा। उन्होंने कहा, “हमने ट्रस्ट और आदिवासी समाज दोनों से कई दौर की बैठकें की हैं। दोनों पक्षों ने सकारात्मक रुख दिखाया है। हमारा प्रयास है कि यह विवाद आपसी बातचीत से शांतिपूर्ण ढंग से सुलझे। प्रशासन का मानना है कि यह विवाद संवाद और पारस्परिक समझ से ही हल किया जा सकता है।

    दोनों पक्षों ने फिलहाल टकराव से बचते हुए बातचीत का रास्ता चुना है, लेकिन गोंड समाज का धैर्य टूटने लगा है। वे चेतावनी दे चुके हैं कि यदि मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो आंदोलन अपरिहार्य होगा। डोंगरगढ़ का माँ बम्लेश्वरी मंदिर छत्तीसगढ़ की धार्मिक आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। लेकिन अब वही आस्था संवाद और विवाद के बीच खड़ी है। एक ओर ट्रस्ट परंपरा और मर्यादा की बात कर रहा है, तो दूसरी ओर गोंड समाज अपनी पहचान और सम्मान की लड़ाई लड़ रहा है। प्रशासन के लिए यह चुनौती है कि वह इस विवाद को केवल कानून के दायरे में नहीं बल्कि आस्था और सम्मान की भावना के साथ सुलझाए, ताकि माँ बम्लेश्वरी की नगरी डोंगरगढ़ फिर से श्रद्धा और एकता की मिसाल बन सके।

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