* पुलिस की भाषा अब बनेगी जनता की भाषा उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा जी का ऐतिहासिक निर्णय *
📍 आरंग, छत्तीसगढ़
राज्य की जनता के लिए एक ऐतिहासिक और स्वागतयोग्य कदम उठाते हुए उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री श्री विजय शर्मा ने पुलिस विभाग को निर्देशित किया है कि अब पुलिस कार्यप्रणाली में प्रयुक्त होने वाले कठिन और पारंपरिक उर्दू-फारसी के 109 शब्दों को हटाकर सरल और प्रचलित हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाएगा।
इस निर्णय का स्वागत करते हुए भाजपा नेता श्री अशोक यादव ने कहा कि यह प्रदेश में पुलिस और आम जनता के बीच संवाद को पारदर्शी, प्रभावी और जनसुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।
> 🗣️ “जब जनता को पुलिस की भाषा ही समझ नहीं आती, तो न्याय प्रक्रिया में उनका जुड़ाव कैसे होगा? अब समय आ गया है कि भाषा को बोझ नहीं, सेतु बनाया जाए।”
— अशोक यादव, भाजपा नेता
📝 अब ये शब्द होंगे आसान:
पुलिस अभिलेखों, रिपोर्टों और समनों में अब ‘अदम तामील’ की जगह सूचित न होना, ‘इंद्राज’ की जगह टेकन, ‘ख़यानत’ की जगह हड़पना, ‘गोस्वारा’ के बदले नक्शा, ‘रोजनामचा’ की जगह सामान्य दैनिकी, और ‘शिनाख्त’ के स्थान पर पहचान जैसे सहज शब्दों का प्रयोग किया जाएगा।
✅ जनता और विशेषज्ञों में मिली सराहना:
श्री यादव ने बताया कि इस फैसले को सामाजिक संगठनों, शिक्षाविदों और आम नागरिकों द्वारा भी सराहा जा रहा है। यह पहल केवल भाषा सुधार नहीं बल्कि न्याय प्रक्रिया को सरल और समावेशी बनाने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय राजस्व, न्यायालय और अन्य विभागों के लिए भी एक प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहाँ भाषा को जनसंपर्क की सबसे मजबूत कड़ी बनाया जा सकता है।
📌 मुख्य बिंदु:
109 कठिन शब्दों को हटाकर सरल हिंदी का उपयोग।
पुलिस रिपोर्ट, नोटिस और समन होंगे अब जनसुलभ।
निर्णय से जनता और पुलिस के बीच संवाद मजबूत होगा।
अन्य विभागों में भी हो सकता है लागू।
📣 यह निर्णय छत्तीसगढ़ को प्रशासनिक रूप से जन-केंद्रित शासन की ओर अग्रसर कर रहा है।