रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की चल रही जाँच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की कुल 61.20 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की है. इस तरह मामले में वर्तमान कुर्की को मिलाकर अब तक कुल 276.20 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), रायपुर क्षेत्रीय कार्यालय ने 10 नवंबर को चैतन्य बघेल की 61.20 करोड़ रुपए की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की है. उसमें 59.96 करोड़ रुपये मूल्य की 364 आवासीय भूखंड और कृषि भूमि के रूप में अचल संपत्तियों के अलावा 1.24 करोड़ रुपए बैंक बैलेंस और सावधि जमा के रूप में चल संपत्तियां शामिल है.

ईडी ने छत्तीसगढ़ राज्य में शराब घोटाले में आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू, रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की. जांच में पता चला है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और अनुसूचित अपराधों के कमीशन से उत्पन्न 2500 करोड़ रुपये से अधिक की अपराध की आय (पीओसी) से लाभार्थियों की जेबें भर गईं.

जांच से यह भी पता चला है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे के रूप में चैतन्य बघेल शराब सिंडिकेट के शीर्ष पर तैनात थे. वह सिंडिकेट द्वारा एकत्र किए गए सभी अवैध धन के “हिसाब” (खातों) को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार था. ईडी की जाँच में यह भी पता चला कि वह पीओसी का प्राप्तकर्ता था, जिसे उसने अपने रियल एस्टेट व्यवसाय में शामिल किया और बेदाग संपत्ति के रूप में पेश किया.

चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले से प्राप्त पीओसी का उपयोग अपनी स्वामित्व वाली कंपनी मेसर्स बघेल डेवलपर्स के तहत अपनी रियल एस्टेट परियोजना “विट्ठल ग्रीन” के विकास के लिए किया. चैतन्य बघेल को ईडी ने 18 जुलाई को गिरफ्तार किया और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है. इससे पहले शराब घोटाले में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, आईटीएस अरुण पति त्रिपाठी और विधायक और छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को ईडी ने गिरफ्तार किया था.

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