रायपुर। समाजसेवी एवं अंबेडकरवादी विचारक डॉ. खिलन प्रसाद साहू ने बयान जारी कर कहा है कि जब-जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आती है, तब-तब आरएसएस और हिंदुत्व की गतिविधियों का सरकारी दफ्तरों, शासकीय कार्यालयों, सामाजिक संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों पर अधिक बोलबाला दिखाई देता है।

 

उन्होंने कहा कि देश की आज़ादी का जश्न मनाने वाले कार्यक्रमों में भी धार्मिक नारे लगाए जाते हैं। 15 अगस्त की प्रभात फेरी में “जय श्रीराम” का नारा, स्कूलों में गरबा डांस या फगुआ गीत जैसे कार्यक्रम अनिवार्य कर दिए जाते हैं। इनका विरोध करने पर शिक्षकों का ट्रांसफर कर दिया जाता है या कड़ी सज़ा दी जाती है।

 

डॉ. साहू ने कहा कि आज़ादी से पहले मनुवादी व्यवस्था पर सवाल उठाने पर हत्या कर दी जाती थी और आज़ादी के बाद भी यह क्रम थमा नहीं है। बाबा साहब अंबेडकर ने हमें बोलने का अधिकार दिया, लेकिन आज भी विचार प्रकट करने पर हत्याएं हो रही हैं।

 

उन्होंने आरोप लगाया कि बच्चों में शिक्षा और व्यवसायिक विकास की जगह गलत संस्कार भरे जा रहे हैं। जाति-जाति में भेदभाव कर मानसिक गुलामी की परत चढ़ाई जा रही है। समाज के प्रभावशाली नेता भी निजी लाभ के लिए जातीय और धार्मिक पहचान को बढ़ावा दे रहे हैं।

 

साहू ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे अरुण साहू कैबिनेट मंत्री बने, सतनामी समाज के खुशवंत गुरु मंत्री बने, तो इन्हीं नेताओं के माध्यम से “हम हिंदू हैं” की भावना को बढ़ावा दिया जा रहा है। जबकि संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है।

 

उन्होंने कहा कि आज भी धर्म के नाम पर हत्याएं हो रही हैं और संविधान का मजाक उड़ाया जा रहा है। पहले साहू समाज के नेता कहते थे “हम हिंदू हैं” और अब सतनामी समाज के कुछ नेता भी वही बात दोहराने लगे हैं।

 

डॉ. साहू ने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि हम हिंदूवादी न बनकर भारतवासी बनें। उन्होंने टार्जन गायकवाड़ की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि मृतक के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा और एक सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए

 

साथ ही उन्होंने पुलिस प्रशासन से मांग की कि गांव-गांव में सभा और सम्मेलन कर लोगों को भारतीय संविधान और कानून के बारे में जागरूक करें। ताकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समाज यह समझ सकें कि संविधान उल्लंघन करने वाले शब्दों का प्रयोग न करें और आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट हो सकें।

 

अंत में डॉ. खिलन प्रसाद साहू ने कहा कि अब समाजसेवियों को भी गांव-गांव जाकर जागरूकता फैलानी होगी। जय भीम, जय भारत, जय संविधान, जय मूलनिवासी।

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