कांग्रेस पार्टी लगातार सामाजिक न्याय और जातिगत जनगणना की बात उठा रही थी, जिसपर NDA सरकार राजी हुई। अब सरकार ने यह फैसला किया कि जातिगत जनगणना कराई जाएगी।

जातिगत जनगणना का अगला कदम यह होगा कि आरक्षण में 50% की सीमा को ख़त्म किया जाए और निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू कर लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

 

सवाल ये भी है कि जब देश में ग्रेजुएशन की डिग्री 3 साल में मिल जाती है तो बिहार में ग्रेजुएशन की डिग्री 5 साल-7 साल में क्यों मिलती है?

 

जिस बिहार को ज्ञान और मोक्ष की भूमि कहा जाता है, जिस बिहार के इतिहास के बिना देश का इतिहास पूरा नहीं होता, उसकी प्रगति के बिना देश की तरक्की कैसे संभव है?

 

ऐसे में बिहार की प्रगति के लिए काम किया जाना चाहिए, जिसमें शिक्षा व्यवस्था से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाए।

 

• जब सरकार का फैसला है कि SC/ST, OBC, अतिपिछड़ा और सभी वर्ग की महिलाओं के लिए KG से PG तक फ्री शिक्षा है तो फिर अलग-अलग जगह, अलग-अलग कोर्स के लिए अलग-अलग फीस क्यों ली जा रही है?

• बिहार में प्लेसमेंट सेल को क्यों लागू नहीं किया जा रहा है?

• बिहार में लगातार पेपर लीक क्यों हो रहे हैं?

• राज्य में 4.50 लाख से ज़्यादा पद खाली हैं- उन्हें क्यों भरा नहीं जा रहा है?

• बिहार के छात्रों पर आज 2,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा का कर्ज है।

• बिहार सरकार में छात्रों को नौकरी मिलने से पहले क़र्ज़दार क्यों बना दिया जा रहा है?

• SC/ST सब-प्लान का पैसा दूसरे मद में कैसे खर्च किया जा रहा है?

 

हमारी सरकार से यही मांग है कि “लाठी नहीं, नौकरी दो”

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