* प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की सहमति है *

नई दिल्ली, 16 जून 2025 — भारत और अमेरिका के बीच शुरू हुई द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में ‘अर्ली ट्रान्च’ समझौते का ड्राफ्ट अंतिम रूप लेते हुए इस महीने आखिर तक फाइनल होने की दिशा में है।

 

✍️ बातचीत की मुख्य चर्चा

 

न्यू दिल्ली में जून 4–10, 2025 के बीच चार दिन चले वार्ता दौर में दोनों देशों ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनाने की पहल की—

 

1. **बाजार पहुँच (Market Access)**

 

अमेरिका ने कृषि, विशेषकर गेहूं, डेयरी और कॉर्न की मांग की, जबकि भारत ने इन पर सख़्त रुख़ अपनाया—इसके बजाय भारतीय ने डिज़ाइन किया कि अमेरिकी ड्राई फ्रूट्स (almonds, pistachios, walnuts) पर किफायती शुल्क लागू होंगे ।

 

भारत ने अमेरिकी स्टील निर्यातकों के लिए विशेष छूट की मांग की है।

2. टैरिफ कटौती एवं निलंबन

भारत–अमेरिका दोनों पक्ष टैरिफ में कटौती के तरीकों पर बातचीत कर रहे हैं, ताकि अमेरिका की ओर से 26 % तक टैरिफ लगाने के संभावित दबाव को रोका जा सके ।

 

जून के अंत या दिली दहला देने वाले 9 जुलाई की 90‑दिवसीय निलंबन (reciprocal tariff pause) समाप्त होने से पहले समझौता करने की उम्मीद है ।

 

3. डिजिटल ट्रेड और गैर‑टैरिफ प्रतिबंध

 

कस्टम सुविधाएँ, डिजिटल ट्रेड नियम और तकनीकी बाधाओं की समीक्षा प्रमुख रूप से की गई ।

 

 

 

 

 

 

📅 वर्तमान स्थिति व आगामी समय‑सीमा

 

दोनों पक्ष जून के अंत तक इंटरिम समझौते पर हस्ताक्षर की उम्मीद कर रहे हैं—इससे टैरिफ शत्रुता टल सकेगी ।

 

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की सहमति है कि पूरा व्यापार पakt 2025 के पतझड़ में अंतिम रूप लिया जाएगा और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार $500 बिलियन तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है ।

 

 

 

 

🛠️ लंबी अवधि के लिए क्या हो सकता है?

 

क्षेत्र भारत की स्थिति अमेरिकी अपेक्षाएँ

 

कृषि डेयरी, अनाज पर संरक्षण भारतीय बाजार खुलना चाहिए

उद्योग ड्राई फ्रूट्स, ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ छूट भारतीय उत्पादकों को बराबर मौका मिले

डिजिटल डेटा प्रवाह में संशोधन क्रॉस-बॉर्डर डेटा नियम nötig

 

 

भारत ने ब्रिटेन समझौते की तर्ज पर ड्राई फ्रूट्स, ऑटो पार्ट्स, व्हिस्की आदि पर गहरे टैरिफ कट की पेशकश की है, लेकिन संवेदनशील उत्पादों (चावल, दूध जैसी) पर सुरक्षा बनाए रखने की मांग की ।

 

 

 

🎯 संभावित असर

 

भारत: निर्यात उद्योग को राहत, डॉलर‑रिजर्व मजबूत, निवेश आकर्षित होगा।

 

अमेरिका: भारतीय ऊर्जा, रक्षा आदि एक्पोर्ट बढ़ेंगे—ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य ट्रे़ड‌ संतुलन सुधारना।

 

वैश्विक दृष्टिकोण से, भारत–अमेरिका राजनैतिक सहयोग भी गहरा होगा।

✅ निष्कर्ष

 

यह इंटरिम डील दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव को कम करने, निर्यात–आयात को संरक्षित रखने और व्यापक “फांझी ट्रेड समझौते” की नींव रखने में अहम भूमिका निभाने वाली है।

7 जुलाई 2025 की मध्य रेखा तय करेगा कि क्या यह गंभीर प्रगति में बदल पाता है या नई जटिलताएं सामना करेंगी।

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